भारतीय पैरा जूडोका कपिल परमार ने कांस्य पदक जीतकर रचा इतिहास, भारत के कुल पदकों की संख्या 25 हुई

भारत के पैरा जूडो खिलाड़ी कपिल परमार ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक जीता। उन्होंने पुरुष 60 किग्रा जे1 वर्ग में ब्राजील के एलिएलटन डि ओलिवेरा को 10-0 के स्कोर से हराकर यह उपलब्धि हासिल की। इस जीत के साथ ही कपिल ने इतिहास रच दिया क्योंकि वह भारत के पहले जूडो खिलाड़ी बने, जिन्होंने पैरालंपिक या ओलंपिक में कोई पदक जीता है। इस पदक के साथ भारत ने पेरिस पैरालंपिक में अपने कुल पदकों की संख्या 25 कर ली है, जिसमें पांच स्वर्ण, नौ रजत और 11 कांस्य पदक शामिल हैं।

परमार ने 2022 एशियाई खेलों में इसी वर्ग में रजत पदक जीता था। उन्होंने क्वार्टर फाइनल में वेनेजुएला के मार्को डेनिस ब्लांको को 10-0 से शिकस्त दी थी, लेकिन सेमीफाइनल में ईरान के एस बनिताबा खोर्रम अबादी से पराजित हो गए। परमार को दोनों मुकाबलों में एक एक पीला कार्ड मिला। कपिल भले ही स्वर्ण नहीं ला सके, लेकिन कांस्य पदक जीतने में सफल रहे। पैरा जूडो में जे1 वर्ग में वो खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं जो दृष्टिबाधित होते हैं या फिर उनकी कम दृष्टि होती है।

भारतीय पैरालंपिक समिति ने इन खेलों से पहले कम से कम 25 पदक जीतने की उम्मीद जताई थी और यह लक्ष्य पूरा हो चुका है। इससे यहां पैरा खिलाड़ियों का प्रदर्शन उम्मीदों से अधिक रहेगा। हालांकि दोहरी संख्या में स्वर्ण पदक जीतने की उम्मीद पूरी नहीं हो सकी।  परमार मध्य प्रदेश के शिवोर नाम के एक छोटे से गांव से हैं। बचपन में परमार के साथ एक दुर्घटना हुई थी। जब वह अपने गांव के खेतों में खेल रहे थे और गलती से पानी के पंप को छू लिया जिससे उन्हें बिजली का जोरदार झटका लगा। बेहोश परमार को अस्पताल ले जाया गया और वह छह महीने तक कोमा में रहे। वह चार भाइयों और एक बहन में सबसे छोटे हैं। परमार के पिता टैक्सी चालक हैं जबकि उनकी बहन एक प्राथमिक विद्यालय चलाती हैं।

परमार ने असफलताओं के बावजूद जूडो के प्रति अपने जुनून को कभी कम नहीं होने दिया। अपने मेंटोर और कोच भगवान दास और मनोज के सहयोग से उन्होंने जूडो में अपनी यात्रा जारी रखी। अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए, परमार अपने भाई ललित के साथ चाय की दुकान चलाते थे। ललित न सिर्फ उनके प्रेरणा स्रोत हैं, बल्कि आज भी उनकी वित्तीय सहायता का मुख्य स्तंभ हैं। दूसरी ओर, महिलाओं के 48 किग्रा जे2 वर्ग के क्वार्टर फाइनल में, भारत की कोकिला को कजाखस्तान की अकमारल नौटबेक से 0-10 की हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद रेपेचेज के जरिए फाइनल में भी कोकिला को यूक्रेन की यूलिया इवानित्स्का से 0-10 से हार मिली। इस मुकाबले में कोकिला को तीन और उनकी प्रतिद्वंद्वी को दो पीले कार्ड दिए गए, जो जूडो में मामूली उल्लंघनों के लिए दिए जाते हैं। जे2 वर्ग में वे खिलाड़ी भाग लेते हैं, जिनकी दृष्टि आंशिक रूप से प्रभावित होती है।

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